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छत्तीसगढ़ में पहली बार प्रदेश के साहित्यिकार विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष मिलने जा रहा है 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार, उपन्यास पर बनी चुकी है फिल्म...

भिलाई की पत्रिका न्यूज़ : छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान छत्तीसगढ़ के किसी लेखक को पहली बार मिलेगा। यह घोषणा शनिवार को नई दिल्ली में ज्ञानपीठ चयन समिति द्वारा की गई। शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा, और वे हिंदी के 12वें साहित्यकार हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त होगा। चयन समिति का नेतृत्व प्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रतिभा राय ने किया।

चयन समिति के सदस्य

प्रवर परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। इस समिति में माधव कौशिक, दामोदर मावजो, प्रभा वर्मा, डॉ. अनामिका, डॉ. ए. कृष्णा राव, प्रफ्फुल शिलेदार, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनन्द शामिल थे।

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पांच दशक से लेखन में सक्रिय

राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल पिछले 50 वर्षों से साहित्य की सेवा कर रहे हैं। उनका पहला कविता संग्रह 'लगभग जय हिंद' वर्ष 1971 में प्रकाशित हुआ था। उनकी प्रसिद्ध कहानी संग्रह 'पेड़ पर कमरा' और 'महाविद्यालय' को भी काफी सराहा गया है।

चर्चित उपन्यास और फिल्म

शुक्ल के उपन्यास 'नौकर की कमीज', 'खिलेगा तो देखेंगे' और 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' हिंदी साहित्य में श्रेष्ठ कृतियों में गिने जाते हैं। उनके उपन्यास 'नौकर की कमीज' पर मशहूर फिल्मकार मणि कौल ने फिल्म भी बनाई थी।

अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार

विनोद कुमार शुक्ल को गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, वीरसिंह देव पुरस्कार, सृजनभारती सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, भवानीप्रसाद मिश्र पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान और पं. सुन्दरलाल शर्मा पुरस्कार जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 1999 में उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। हाल ही में उन्हें मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। पिछले साल उन्हें पेन अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नाबोकॉव अवॉर्ड दिया गया था, जिसे पाने वाले वे एशिया के पहले साहित्यकार हैं।

पेन अमेरिका व्लादिमीर नाबाकोव अवॉर्ड 2023

विनोद कुमार शुक्ल को पेन अमेरिका व्लादिमीर नाबाकोव अवॉर्ड फॉर अचीवमेंट इन इंटरनेशनल लिटरेचर-2023 से भी सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 2 मार्च को प्रदान किया जाएगा। वे पहले भारतीय एशियाई मूल के लेखक हैं, जिन्हें इस सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा रहा है। इस पुरस्कार के तहत उन्हें 50 हजार डॉलर (लगभग 41 लाख रुपये) की राशि दी जाएगी।

सराही गई कविताएँ

उनकी कविताओं के संग्रह, जैसे 'लगभग जय हिंद', 'वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह', 'सब कुछ होना बचा रहेगा', 'अतिरिक्त नहीं', 'कविता से लंबी कविता' और 'आकाश धरती को खटखटाता है', को विश्वभर में प्रशंसा मिली है।

बच्चों के साहित्य में योगदान

शुक्ल ने बच्चों के लिए भी लिखा है। 'हरे पत्ते के रंग की पतरंगी' और 'कहीं खो गया नाम का लड़का' जैसी रचनाओं को पाठकों ने काफी पसंद किया है। उनकी पुस्तकों का अनुवाद कई अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में किया जा चुका है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार की जानकारी

ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान है, जो भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार भारत की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा में साहित्य रचने वाले भारतीय नागरिक को दिया जाता है। पुरस्कार में 11 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। 1965 में यह पुरस्कार 1 लाख रुपए की राशि के साथ शुरू किया गया था, जिसे 2005 में बढ़ाकर 7 लाख रुपए किया गया और वर्तमान में 11 लाख रुपए हो चुका है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को दिया गया था।

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