भिलाई की पत्रिका न्यूज़ : ईरान में छत्तीसगढ़ का बेटा फंसा, 60 भारतीयों के साथ जीवन और मौत के बीच जूझ रहा है। परिवार की आंखें नम हैं और दिल में बस एक ही दुआ – बेटा सकुशल लौट आए।
(छग) कांकेर जिले के कन्हारगांव गांव का रहने वाला मयंक साहू इस समय ईरान के खुरमशहर बंदरगाह पर फंसा हुआ है। उसके साथ भारत के अन्य 60 लोग भी वहीं हैं। मयंक अकेला छत्तीसगढ़ से है, जो मर्चेंट नेवी में नौकरी के सिलसिले में 9 महीने पहले ईरान आया था।
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शुरुआत के 6 महीने सबकुछ ठीक चला, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। इजराइल और ईरान के बीच छिड़ा युद्ध मयंक और उसके साथियों के लिए मुसीबत बन गया है।
नेटवर्क ठप, वॉट्सएप बंद और हर तरफ डर का माहौल – यही मंजर है खुरमशहर का।
मयंक ने बताया कि चेन्नई से मर्चेंट नेवी की ट्रेनिंग के बाद उसे ईरान की एक कंपनी में भेजा गया था। अब भारत लौटना चाहता है लेकिन स्थितियां ऐसी हैं कि लौट पाना नामुमकिन हो गया है।
वहां सोशल मीडिया तक काम नहीं कर रहा। परिवार से संपर्क में बने रहना भी मुश्किल हो गया है।
मयंक ने बताया कि वे सभी भारतीय लगातार संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं। आश्वासन जरूर मिला है कि जल्द उन्हें भारत लाने की व्यवस्था की जाएगी।
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परिजनों की हालत बेहद चिंताजनक है।
मयंक के पिता गंगदेव साहू और मां ललिता साहू ने बताया कि बेटा कब लौटेगा, इसकी चिंता ने नींद उड़ा दी है। घटना की जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुंचे।
प्रशासन भी हरकत में आया है।
एएसपी संदीप पटेल ने बताया कि परिजनों ने एसडीएम को आवेदन सौंपा है। प्रशासन की ओर से हर संभव मदद की जाएगी।
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