छत्तीसगढ़ के 10,463 स्कूलों में टीचर्स की नई तैनाती, सरकार के युक्तियुक्तकरण फैसले से शिक्षकों में उबाल!

भिलाई की पत्रिका न्यूज़ : छत्तीसगढ़ में एक बड़ा शिक्षा फैसला सामने आया है, जिससे राज्य के हजारों शिक्षक सकते में हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को आदेश जारी कर दिया है, जिसके तहत 10,463 स्कूलों में शिक्षकों की नई तैनाती की जाएगी।

छत्तीसगढ़ स्कूलों में शिक्षक तैनाती पर बवाल | CG Rationalisation Protest News

➡️ सरकार का युक्तियुक्तकरण का बड़ा कदम

राज्य सरकार ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत यह निर्णय लिया है। यह कदम सरकारी स्कूलों में संसाधनों के सही वितरण और मैनेजमेंट को लेकर उठाया गया है। हालांकि शिक्षकों का कहना है कि यह फैसला न केवल स्कूलों को कमजोर करेगा बल्कि शिक्षक गुणवत्ता के साथ भी खिलवाड़ है।

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➡️ 43 हजार पद हो सकते हैं खत्म, शिक्षकों में आक्रोश

इस प्रक्रिया से 43 हजार से अधिक पदों पर खतरा मंडरा रहा है। इसके खिलाफ 10 हजार से अधिक शिक्षक बुधवार को मंत्रालय का घेराव करेंगे।

➡️ क्या है युक्तियुक्तकरण?
युक्तियुक्तकरण यानी किसी सिस्टम में संसाधनों और मानव बल का पुनर्वितरण। जैसे अगर किसी कंपनी के दो ऑफिस एक ही शहर में हैं, तो उन्हें एक में मर्ज कर दिया जाए। कंपनी की नजर में ये लागत बचाने और मैनेजमेंट आसान बनाने का तरीका है।

लेकिन कर्मचारियों के लिए यह बदलाव वर्क लोड बढ़ाने और नौकरियां छीनने जैसा लगता है। सरकारें इसी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर कर्मचारियों को "सरप्लस" दिखाकर दूसरे स्थानों पर तैनात करती हैं या हटाती हैं।

➡️ सरकार क्या कह रही है?
सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षक तो पर्याप्त हैं, लेकिन उनका बंटवारा असमान है। उदाहरण के तौर पर –
🔸 30,700 प्राइमरी स्कूलों में 6,872 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक है।
🔸 212 स्कूलों में तो एक भी शिक्षक नहीं है।
🔸 वहीं 13,149 प्री मिडिल स्कूलों में 255 में सिर्फ एक शिक्षक और 48 स्कूलों में कोई नहीं है।

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इसका मतलब है कुछ स्कूलों में शिक्षक सरप्लस हैं और कुछ पूरी तरह खाली। इसी असंतुलन को सुधारने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

➡️ सरकार की रणनीति क्या है?
सरकार दो अहम काम करने जा रही है:

  1. जिन स्कूलों में कम छात्र हैं, उन्हें पास के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा।

  2. जहां ज्यादा शिक्षक हैं, उन्हें जरूरतमंद स्कूलों में भेजा जाएगा।

इससे भर्ती का दबाव घटेगा। अभी जहां 12,832 शिक्षकों की जरूरत है, वहीं युक्तियुक्तकरण के बाद यह संख्या घटकर करीब 5,370 रह जाएगी। स्कूलों के मर्ज होने पर यह और कम हो सकती है।

➡️ शिक्षकों की नाराज़गी क्यों है?
शिक्षकों का आरोप है कि यह पूरा सिस्टम सरकारी स्कूलों को खत्म करने और शिक्षकों की छंटनी की ओर बढ़ रहा है।

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