41 साल बाद भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष में जलवा: ‘व्हाट ए राइड’ बोलकर भावुक कर गए शुभांशु, अंतरिक्ष में ले गए भारतीय स्वाद..

 भिलाई की पत्रिका न्यूज़41 साल बाद फिर बजा भारत का अंतरिक्ष शंखनाद

अंतरिक्ष की ऊंचाइयों में तिरंगे की चमक लौट आई है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के बेटे शुभांशु शुक्ला ने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। जैसे ही वो अंतरिक्ष में पहुंचे, उनके मुंह से निकला – "व्हाट ए राइड"। कंधे पर लहराता तिरंगा मानो पूरे भारत को साथ ले गया हो।

Shubhanshu Shukla ISS Launch Photo – भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु का एक्सियम मिशन 4 से लॉन्च के बाद भावुक पल

माता-पिता भावुक, पूरे देश को गर्व
अंतरिक्ष में बेटे की उड़ान के साथ ही शुभांशु के माता-पिता, आशा शुक्ला और शंभु दयाल शुक्ला की आंखें नम हो गईं। ताली बजाकर उन्होंने अपनी खुशी जाहिर की। लखनऊ में लोगों ने मिठाई बांटी और इस ऐतिहासिक पल को सेलिब्रेट किया।

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कैसे हुआ ये ऐतिहासिक लॉन्च
भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च हुआ एक्सियम मिशन 4। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से ड्रैगन कैप्सूल में शुभांशु समेत 4 एस्ट्रोनॉट रवाना हुए। ये 26 जून शाम 4:30 बजे ISS से जुड़ेगा।

शुभांशु की उड़ान की अहमियत
41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। शुभांशु अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय हैं।

गगनयान मिशन के लिए बड़ा कदम
शुभांशु का अनुभव भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए बेहद अहम साबित होगा। भारत का लक्ष्य 2027 तक अपने एस्ट्रोनॉट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है।

6 बार टल चुका था मिशन, फिर भी नहीं टूटी उम्मीद
मिशन को 6 बार तकनीकी कारणों, खराब मौसम, और ISS के सर्विस मॉड्यूल की वजह से टालना पड़ा।

मिशन के उद्देश्य
– माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक प्रयोग
– नई टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग
– अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना
– एजुकेशनल एक्टिविटीज के जरिए जागरूकता

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कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
1986 में लखनऊ में जन्मे शुभांशु ने NDA से पढ़ाई की और 2006 में वायुसेना में शामिल हुए। उन्हें रूस और अमेरिका में स्पेशल ट्रेनिंग दी गई। वो फाइटर जेट्स के एक्सपर्ट हैं और ISRO के गगनयान मिशन का हिस्सा भी हैं।

ISS पर क्या करेंगे शुभांशु?
14 दिन के इस मिशन में शुभांशु 7 भारतीय और 5 नासा के साइंटिफिक प्रयोग करेंगे, जिनमें बायोलॉजिकल स्टडीज़ शामिल हैं। उम्मीद है कि वह अंतरिक्ष से पीएम नरेंद्र मोदी से भी बात करेंगे।

अंतरिक्ष में भारतीय स्वाद भी ले गए
शुभांशु अपने साथ आम का रस, गाजर और मूंग दाल का हलवा लेकर गए हैं, जिसे वो अपने साथियों के साथ शेयर करेंगे।

मिशन की लागत और भारत की हिस्सेदारी
भारत ने इस मिशन में 548 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जिसमें ट्रेनिंग और साझेदारी का खर्च भी शामिल है।

क्या है एक्सियम मिशन 4?
यह एक प्राइवेट मिशन है जो Axiom Space और NASA की साझेदारी में हो रहा है। इससे पहले Axiom के 3 मिशन हो चुके हैं – 17, 8 और 18 दिन के।

क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?
ISS एक अंतरिक्ष यान है जो 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इसमें वैज्ञानिक माइक्रोग्रेविटी में प्रयोग करते हैं। इसे 5 देशों की एजेंसियों ने मिलकर बनाया।

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