भिलाई की पत्रिका न्यूज़ : (मप्र) रतलाम जिले की आलोट तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम जलोदिया में पिछले दो महीने से रहस्यमयी घटनाएं हो रही हैं। यह घटनाएं किसान और पूर्व सरपंच भगवाना सिंह कछावा के घर में घट रही हैं, जिससे पूरा परिवार चिंतित है। कभी अचानक पत्थर गिरने लगते हैं, तो कभी घर में रखे कपड़ों और अन्य वस्तुओं में आग लग जाती है। यहां तक कि कई बार घर में रखा सामान हवा में उड़कर दूर जा गिरता है। इस रहस्य का कोई हल अब तक नहीं निकल पाया है, और हर कोई इस परिस्थिति को समझने में असमर्थ है।
भगवाना सिंह कछावा का कहना है कि वे इस मकान में पिछले 13 वर्षों से निवास कर रहे हैं। लेकिन बीते दो महीनों से उनके घर में अजीब घटनाएं हो रही हैं। कई बार छत के ऊपर से छोटे-बड़े पत्थर गिरते हैं, जिससे परिवार के लोग घायल भी हो चुके हैं। इसके अलावा, घर और आंगन में रखी पानी की केन, बर्तन आदि अचानक हवा में उठकर दूसरी जगह गिर जाते हैं।
बुधवार को जब मिडिया प्रतिनिधि ने गांव में जाकर पीड़ित परिवार से बातचीत की और स्थिति को समझने का प्रयास किया, तो कुछ अप्रत्याशित घटित हुआ। उस समय परिवार के सदस्य घर के अंदर थे, तभी अचानक एक टिफिन जो पलंग पेटी पर रखा था, हवा में उठा और जमीन पर गिर गया। टिफिन के गिरते ही उसमें रखी रोटियां चारों ओर बिखर गईं।
भगवाना सिंह कछावा ने बताया कि बीते छह दिनों से रोजाना घर में रखे कपड़ों में अपने आप आग लग रही है। इस आग में उनके नए-पुराने बिस्तर, कपड़े और अलमारी में रखे 50,000 रुपये तक जल चुके हैं। तीन दिन पहले, उनकी भांजी सुनीता आंगन में खड़ी थी, तभी अचानक उसकी कुर्ती में आग लग गई। घर के अन्य सदस्यों ने तुरंत दौड़कर आग बुझाई और उसे बचाया। इतना ही नहीं, घर की खिड़कियों, दरवाजों के पर्दे और गेहूं से भरे प्लास्टिक के बोरे भी जल चुके हैं।
परिवार इन घटनाओं से बेहद परेशान है। यह घटनाएं अधिकतर दिन के समय होती हैं, इसलिए सभी हमेशा सतर्क रहते हैं कि कहीं आग न लग जाए। आग लगने की स्थिति में तुरंत उसे बुझाने का प्रयास किया जाता है।
गांव के चेनसिंह कछावा और लालसिंह कछावा ने बताया कि यह घटनाएं गांव में पहली बार देखने और सुनने को मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग इस घर की परिस्थिति को देखने आ चुके हैं और इसे समझने का प्रयास किया है, लेकिन कोई भी स्पष्ट कारण नहीं ढूंढ पाया है।
भगवाना सिंह कछावा ने बताया कि लोग तरह-तरह की बातें करते हैं और अलग-अलग सुझाव देकर चले जाते हैं। घर में सुंदरकांड, दुर्गापाठ, हवन सहित कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान और टोने-टोटके कराए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई लाभ नहीं हुआ है। इन घटनाओं को रोकने का कोई तरीका समझ नहीं आ रहा है, जिससे पूरा परिवार भयभीत है।
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