भिलाई की पत्रिका न्यूज़ : रायपुर में BJP विधायक के स्टाफ पर गंभीर आरोप, स्वेच्छानुदान की राशि में घोटाले की लिस्ट वायरल
छत्तीसगढ़ के चर्चित भाजपा विधायक ईश्वर साहू एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला स्वेच्छानुदान राशि के दुरुपयोग से जुड़ा है। आरोप उनके पीएसओ, पीए और कम्प्यूटर ऑपरेटर पर है, जिन्होंने जरूरतमंदों की बजाय अपने रिश्तेदारों को सरकारी राशि बांटी।
रिश्तेदारों के नाम वाली लिस्ट हुई वायरल, मचा सियासी हंगामा
मिडिया रिपोर्टस के अनुसार सोशल मीडिया में वायरल हुई स्वेच्छानुदान की सूची से खुलासा हुआ है कि जिन हितग्राहियों को पैसा मिला, उनमें से अधिकांश विधायक के स्टाफ के नजदीकी रिश्तेदार हैं। आरोपों के घेरे में पीएसओ ओम साहू, पीए दिग्विजय केशरी, अनुज वर्मा और ऑपरेटर धीरज पटेल शामिल हैं।
पीएसओ ओम साहू पर सबसे गंभीर आरोप
बताया जा रहा है कि ओम साहू ने अपने 20 से अधिक रिश्तेदारों के नाम पर 40,000, 30,000, 25,000 और 20,000 रुपए तक की राशि बंटवाई।
पीए दिग्विजय केशरी के साढ़ू और भतीजे भी लाभार्थी
सूची में करीब 7 लोगों का नाम दिग्विजय से जुड़ा हुआ बताया गया है। इन सभी को भी 25 से 40 हजार रुपए तक की राशि मिली है।
PA अनुज वर्मा और ऑपरेटर धीरज पटेल भी पीछे नहीं
अनुज वर्मा ने अपने परिवार वालों को 20-20 हजार रुपए दिलवाए, वहीं कम्प्यूटर ऑपरेटर धीरज पटेल ने भी भाईचारा निभाते हुए अपने रिश्तेदारों को 25 से 30 हजार रुपए तक की राशि दिलवा दी।
निज सहायकों ने साधी चुप्पी, विधायक से नहीं हो पाई बात
जब मिडिया की टीम ने जब दिग्विजय और अनुज से बात की, तो उन्होंने "मैं क्या बोलूं" कहकर पल्ला झाड़ लिया। पीएसओ ओम साहू का नंबर बंद मिला।
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कांग्रेस का हमला, कहा- ‘भाई का, मामा का, सबका पैसा’
कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया है। सोशल मीडिया पर वायरल सूची को शेयर करते हुए भाजपा विधायक ईश्वर साहू और उनके स्टाफ पर तंज कसा गया। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा— “माले मुफ्त दिले बेरहम, लूट सको तो लूट लो।” उन्होंने कहा कि यह पैसा जरूरतमंदों के लिए होता है, न कि भाई-भतीजावाद के लिए।
विधायक की प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई
इस पूरे प्रकरण में अब तक विधायक ईश्वर साहू की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मीडिया द्वारा संपर्क करने पर उनके निजी सहायक ने बताया कि “विधायक जी पूजा में व्यस्त हैं, बाद में बात करिए।”
स्वेच्छानुदान का उद्देश्य ही हुआ सवालों के घेरे में
गौरतलब है कि स्वेच्छानुदान की राशि मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें आर्थिक मदद की सख्त जरूरत हो। इसके लिए विधायकों की सिफारिश पर राशि दी जाती है, लेकिन अब इस मामले में सिफारिश की आड़ में बड़ा खेल सामने आया है।
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