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भारतमाला घोटाले में बड़ा खुलासा: EOW ने 7600 पन्नों का चालान पेश किया, करोड़ों का मुआवजा डकारने का आरोप..


भिलाई की पत्रिका न्यूज़ :  रायपुर में भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले का पर्दाफाश, EOW ने पेश किया 7600 पन्नों का चालान

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाले भारतमाला इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुए 48 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की जांच अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है।

सोमवार को आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने इस मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में करीब 7600 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की।

भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला रायपुर, 7600 पन्नों की चार्जशीट में मुआवजा फर्जीवाड़े का खुलासा

इन लोगों पर लगा है बड़ा आरोप

जिन लोगों पर आरोप तय किए गए हैं, उनके नाम हैं – हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन, कुंदन बघेल, भोजराज साहू, खेमराज कोसले, पुन्नूराम देशलहरे, गोपाल वर्मा और नरेंद्र नायक।

12 से ज्यादा लोग संदेह के घेरे में
इस घोटाले में कुल 12 से अधिक आरोपी शामिल बताए गए हैं। इनमें दो एसडीएम, एनएचएआई के चार अधिकारी और कई राजस्व विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं।

अब तक एक जमीन कारोबारी समेत चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिन्हें बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।

राज्य ने केंद्र को सौंपी रिपोर्ट, CBI या ED जांच की संभावना
राज्य सरकार ने पूरी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है। अब केंद्र इस मामले को CBI या ED को सौंपने का फैसला कर सकता है।

 प्रोजेक्ट रिपोर्ट लीक कर बढ़ाया मुनाफा
EOW की लगभग एक साल चली जांच में पाया गया कि कुछ लोगों ने जानबूझकर प्रोजेक्ट रिपोर्ट लीक की। इसके आधार पर जमीन के टुकड़े किए गए और मुआवजा कई गुना बढ़ाकर लिया गया।

कुछ अपात्र व्यक्तियों को भी मुआवजा बांटने के पुख्ता सबूत जांच एजेंसी के हाथ लगे हैं।

NHAI के 3 अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप
तीन एनएचएआई अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई, लेकिन विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति अब तक नहीं दी है। इस पर एनएचएआई की आपत्ति के बाद ही केंद्र ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।

क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट और मुआवजा विवाद?
भारतमाला योजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है। इसमें रायपुर से विशाखापट्टनम तक फोरलेन और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क प्रस्तावित है।

इस निर्माण के लिए कई किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन कई को अब भी मुआवजा नहीं मिला।

विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। इसके बाद इस घोटाले की जांच का रास्ता साफ हुआ।

क्या कहता है भूमि अधिग्रहण नियम 2013?
इस कानून के अनुसार, यदि किसी की 5 लाख की जमीन ली जाती है, तो उसे 5 लाख रुपये जमीन की कीमत के अलावा 5 लाख रुपये "सोलेशियम" के रूप में भी दिए जाते हैं।

इस तरह कुल 10 लाख रुपये के बजाय 20 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है। और इसी नियम का गलत फायदा उठाकर करोड़ों की हेराफेरी की गई।

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