भिलाई की पत्रिका न्यूज़ : आजकल बढ़ते प्रदूषण, धुएं और धूल की वजह से फेफड़ों पर सबसे ज्यादा बोझ पड़ रहा है। कई लोग तो रोज़मर्रा की जिंदगी में बिना जाने ही खतरनाक कणों को सांस के साथ अंदर तक ले जा रहे हैं। ऐसे में फेफड़े कमजोर पड़ जाते हैं और शरीर जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसलिए अपने लंग्स को नेचुरल तरीके से साफ रखना बेहद जरूरी है।
फेफड़ों को डिटॉक्सीफाई करने के 6 देसी उपाय
1. तुलसी – सांसों की प्राकृतिक ढाल
तुलसी यानी होली बेसिल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भरे होते हैं। कई शोध बताते हैं कि इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स वायुमार्ग की सूजन कम करके सांस लेने में राहत देते हैं। इसे पत्तियों के रूप में या चाय बनाकर लिया जा सकता है। ध्यान रहे—तुलसी का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
2. वासाका – मलाबार नट के चमत्कारी फायदे
वासाका या मालाबार नट फेफड़ों की सफाई के लिए खास जड़ी-बूटी है। इसमें मौजूद एल्कलॉइड्स कफ निकालने, खांसी कम करने और सांस की नलियों को खोलने में मदद करते हैं। ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी दिक्कतों में भी यह असरदार मानी गई है।
3. अदरक – सूजन घटाए और राहत पहुंचाए
अदरक के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण इसे लंग हेल्थ के लिए बेहद उपयोगी बनाते हैं। रोज़मर्रा के खाने में अदरक, गर्म काढ़ा या अदरक की चाय फेफड़ों की सफाई और सांस लेने की क्षमता में सुधार ला सकती है।
4. मुलेठी – सदियों पुरानी हर्बल दवा
आयुर्वेद में यष्टिमधु के नाम से मशहूर मुलेठी कफ को बाहर निकालने और गले की सूजन कम करने में मदद करती है। बलगम हटाने, ब्रोंकाइटिस और गले की खराश में यह काफी असरदार मानी जाती है। इसे चाय या सप्लीमेंट के रूप में लिया जा सकता है।
5. हल्दी – करक्यूमिन का जादू
हल्दी का करक्यूमिन वायुमार्ग की सूजन कम करके अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस संबंधी दिक्कतों में राहत देता है। नियमित रूप से हल्दी का प्रयोग फेफड़ों को साफ और स्वस्थ रखता है। दादी-नानी जमाने से हल्दी वाले दूध को लंग्स की मजबूती के लिए सुझाती आई हैं।
6. पिप्पली – लंबी मिर्च का फेफड़ा-हितकारी उपयोग
आयुर्वेद में पिप्पली को खास दर्जा मिला है। यह वायुमार्ग को रिलैक्स करके सांस लेने की क्षमता बढ़ाती है और कफ बाहर निकालने में मदद करती है। अस्थमा और COPD जैसी गंभीर स्थितियों में भी इसके फायदे बताए गए हैं।
भारत में बढ़ रही रेस्पिरेटरी समस्या
देश में अस्थमा, सीओपीडी और अन्य श्वसन बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। करीब 3.5 करोड़ लोग अस्थमा से और 5.52 करोड़ लोग सीओपीडी से जूझ रहे हैं। एयर क्वालिटी, वाहन धुआं, फैक्ट्रियों का प्रदूषण, निर्माण कार्य और कृषि जलाने जैसी वजहें हवा को जहरीला बना देती हैं। घरेलू धुआं, तंबाकू, उम्र, ठंड और संक्रमण भी बड़ी समस्या बन रहे हैं।
अगर आप भी अपने फेफड़ों को मजबूत और साफ रखना चाहते हैं, तो ये देसी उपाय आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ी राहत दे सकते हैं।ऐसी और उपयोगी हेल्थ अपडेट्स के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। आपका स्वास्थ्य ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी स्वास्थ्य जानकारी और सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं| इनका पालन करने से पहले अपने निजी चिकित्सक से सलाह करना हमेशा बेहतर होता है.
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